poetry- ek khoj
मैं तो बस तुम्हें खोज रहा हूँ
तुम हो के उसे खोज रहे होl
वो भी जानता है वो किसे खोज रहा है
प्रत्येक उत्तर से परिपूर्ण है हृदयl
लेकिन जिस्म पर केवल प्रश्न टंगे हैं
मिट्टी की देह में कहाँ छुपी बैठी है आत्माl
उस आत्मा में कहाँ विद्यमान है परमात्मा
और यहाँ कौन है जो उसे खोज रहा है?
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